Seasons Meaning in Hindi: पृथ्वी अपने अक्ष पर झुकी हुई और इस पर ही गति करती हैं। जब यह अपने अक्ष पर... नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में हमने देशभक्ति पर संस्कृत निबंध (Essay on Desh Bhakti in Sanskrit) लिखा है जो आपके बहुत ही... भारतीय गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी – Vashishtha Narayan Singh Biography, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की जीवनी, विवेक बिंद्रा के संघर्ष और सफलता की कहानी, आत्मसम्मान का महत्व, इन 5 तरीकों से होगा यह आसान, जैन प्रथा मिच्छामी दुक्कड़म क्या है और इसका हिंदी अर्थ, एन्क्रिप्शन क्या है? In 1961, he was selected to Patna Science College. वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 में बिहार के भोजपुर जिला में बसन्तपुर नाम के गाँव में हुआ था। 1973 में उनकी शादी  वन्दना रानी सिंह से हुई । शादी के बाद धीरे-धीरे उनके असामान्य व्यवहार के बारे में लोगों को पता चला। छोटी-छोटी बातों पर बहुत क्रोधित हो जाना, कमरा बन्द कर दिनभर पढ़ते रहना, रातभर जागना, उनके व्यवहार में शामिल था। इसी व्यवहार के चलते उनकी पत्नी ने जल्द ही उनसे तलाक ले लिया।, वशिष्ठ नारायण सिंह  ने  1962 में  नेतरहाट विद्यालय से दसवीं की परीक्षा पास की और उस समय के ‘संयुक्त बिहार’ में सर्वाधिक अंक प्राप्त किया। वशिष्ठ जब पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, तब कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 1965 में वशिष्ठ को अपने साथ अमेरिका ले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बने। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धान्त पर किये गए उनके शोधकार्य ने उन्हे भारत और विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। इसी दौरान उन्होंने नासा में भी काम किया, लेकिन मन नहीं लगा और 1971 में भारत लौट आए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कोलकाता में काम किया।, 1974 में वशिष्ठ नारायण सिंह को पहला दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद उनका इलाज राँची में करवाया गया। पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद 1987 में वशिष्ठ नारायण अपने गांव लौट गए थे।, जब उनके भाई अगस्त 1989 को उनका रांची में इलाज कराकर बंगलुरू ले जा रहे थे तो रास्ते में खंडवा स्टेशन पर उतर गए और भीड़ में कहीं खो गए। करीब 5 साल  बाद उनके गांव के लोगों को वे छपरा स्टेशन पर मिले। इसके बाद राज्य सरकार ने उनकी इलाज करवाया और उन्हें राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान बंगलुरू इलाज के लिए भेजा गया। जहां पर मार्च 1993 से जून 1997 तक उनका इलाज  चला। इसके बाद से वे गांव में ही रह रहे थे।, इसके बाद तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने उनकी देखभाल का जिम्मा उठाया और उनकी स्थिति ठीक नहीं होने तक उन्हे 4 सितम्बर 2002 को मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। करीब एक साल दो महीने उनका इलाज चला। स्वास्थ्य में लाभ देखते हुए उन्हें वहां से छुट्टी दे दी गई थी।, कुछ समय पहले ही उनका आँखों में मोतियाबिन्द का ऑपरेशन हुआ। कई संस्थाओं ने उन्हे गोद लेने का आग्रह किया लेकिन उनके परिवार ने ये स्वीकार नहीं किया।, 14 नवम्बर 2019 को वशिष्ठ नारायण सिंह की अचानक तबीयत खराब होने के चलते उन्हे पटना ले जाया गया जहाँ डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।, Your email address will not be published. Required fields are marked *. by Shashank Sharma मशहूर वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी और उनसे जुडी रोचक जानकारियां |Indian Mathematician Vashishtha Narayan Singh Biography (Birth, Education, Wife, Life History), challenged to einstein and Interesting Fact in Hindi केली ने नारायण सिंह जी के टेलेंट को पहचाना और उनकी Monitaring की। फिर 1965 में नारायण जी अमेरिका चले गये। कैलीफोर्निया यूनीवर्सिटी से उन्होंने साल 1969 में पीएचडी पूरी की और वाशिंगटन यूनीवर्सिटी Associate Professor बन गये। PhD के दौरान प्रो.

: Not Known; Since childhood, he was a brilliant student at Mathematics. Once, he was … जॉन केली की। प्रो. तो आज इस आर्टिकल में हम आपको वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी – Vashishtha Narayan Singh Biography Hindi के बारे में बताने जा रहे है. Vashishtha Narayan Singh was found in Saran District He was sent him to NIMHANS, Bengaluru by the then chief minister Lalu Prasad Yadav. केली ही उनके Doctoral Advisor थे। उनका वाशिंगटन यूनीवर्सिटी से सफ़र शुरू हुआ, उनका ये सफ़र नासा तक पहुंच गया।, उस समय नासा में Apollo 14 और Apollo 15 पर तेजी से काम हो रहा था। ये दोनों स्पेस मिशन 1971 में लौंच किये गये थे।, जब नारायण जी नासा में काम कर रहे थे तब का एक किस्सा बहुत ही प्रसिद्ध है “अपोलो प्रोजेक्ट के समय एक बार नासा के 31 कंप्यूटर एक साथ बंद हो गये तब नारायण जी Manually गणनाएं करते रहे। कुछ समय बाद जब कंप्यूटर वापस शुरू हुए तब पाता चला कि उनके द्वारा की गई गणना और कंप्यूटर के द्वारा की गई गणना एक समान ही थी।”, 1971 तक वह अमेरिका में रहे। फिर वह भारत लौट आये। भारत में आने के बाद उन्होंने भारत के IIT Kanpur, भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता, TATA Institute of Fundamental Research Mumbai के काई छात्रों से अपना ज्ञान सांझा किया।, इतने समय के बाद 1973 में उनकी शादी हुई। नारायण सिंह की पत्नी का नाम वंदना रानी सिंह है। 1974 में Schizophrenia नाम की बीमारी उन पर अपना प्रभाव कायम करने लगी। 1974 में उनको Schizophrenia बीमारी का पहला दौरा पड़ा। 1976 में उनको रांची के एक होस्पिटल में एडमिट करवाया गया। इस होस्पिटल में उनका इलाज बहुत लम्बे समय तक चला।, Schizophrenia नाम की बीमारी जिसे लगती है इसमें इससे पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार बदल जाता है। मेंटल जैसे बर्ताव करने लग जाता है, अजीबोगरीब हरकतें करने लगता है और असलीयत को पहचानने में समस्या आने लगती है।, इस बीमारी के दौरान पीड़ित को कई बार ऐसी-ऐसी आवाजे भी सुनाई देने लगती है जो असलीयत में होती ही नहीं है। सामान्य सी बात है ऐसे में सोचने और समझने की ताकत कम होने लग जाती है। उनकी ऐसी हालत में देखकर उनकी पत्नी वंदना सिंह उनका अधिक साथ नहीं दे पाई और उनसे तलाक ले लिया।, नारायण जी 5 भाई-बहिन थे। उनके परिवार वालों बताते है कि वह छोटी-छोटी बातों पर पूरा घर सिर पर उठा लेते थे, पेंसिल से वे कई बार घर की दीवारों पर लिख दिया करते थे, उन्हें हर 3 से 4 दिन में एक नई पेंसिल और कॉपी लाकर देनी पड़ती थी।, इस दौरान वहां की सरकार ने उनकी कोई खास तरह से मदद या सहायता नहीं की। बैंगलोर में उनका ईलाज चला था। उनके भाई अयोध्या सिंह जो आर्मी में थे, उनके साथ बैंगलोर में रहना चाहते थे। इसलिए वह अपनी ट्रांसफर बैंगलोर में करवाना चाहते थे। अपने ट्रांसफर को लेकर उनको रक्षा मंत्रालय तक भी बात करनी पड़ी थी।, कुछ समय बाद उनका ईलाज बंद हो गया। अपने आखिर के समय में वह पटना के कुल्हरिया इलाके में रहते थे। कई नेता मंत्री उनके हाल जाने आते थे। लेकिन इतना किसी ने कुछ नहीं किया कि नारायण जी का कुछ भला हो सके।, नारायण जी भारत के स्टीफन हॉकिंग कहे जाते थे। उन्होंने आइन्स्टाइन जो कि दुनिया के महान वैज्ञानिक हुए, उनके सापेक्षता के सिध्दांत और गौस की थ्योरी को चुनौती दी थी। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर भी नारायण जी ने शोध किये थे, जिससे इनको पूरे भारत में पहचान मिली थी।, लेकिन भारत में उनके इस दावे को इतना नहीं माना गया कि इसे पूरी दुनिया के सामने रखा जाएं। उनके परिवार को यह डर रहता है कि उनके द्वारा लिखी दीवार पर बातें, उनके किताबों के बक्से, उनकी लिखी कोपियां कहीं रद्दी में नहीं बदल जायें।, वशिष्ट जी की स्थिति ऐसी हो गई थी कि 1989 में वह अपने गांव से अचानक ही लापता हो गये थे और 1993 में बहुत ही बेहद दयनीय हालत में सारण, डोरीगंज में मिले थे।, 77 वर्ष की आयु में 14 नवम्बर 2019 को उनका निधन हो गया। उनकी तबियत बिगड़ने पर उनके परिवार वाले उनको पटना के पटना मेडिकल कॉलेज और होस्पिटल ले गये, जहां उनका निधन हो गया।, नारायण जी के अंतिम समय में उनकी भाभी प्रभावती कहना है कि ये खुद पागल नहीं हुए, समाज ने इनको पागल बना दिया।, Read Also: माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स की जीवनी, हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह “Indian Mathematician Vashishtha Narayan Singh Biography” पसंद आई होगी इसे आगे शेयर जरूर करें इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। हमारा Facebook Page लाइक जरूर करें।.

Your email address will not be published. इसके अलावा उन्होंने नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही रहा था उस समय वे नासा में काम करते थे लेकिन बाद में वे नौकरी छोड़ कर 1971 में भारत लौट आए. उन्होंने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी. When he objected, teacher sent him to Principal. केली कैलीफोर्निया यूनीवर्सिटी में पढ़ाते थे और उस समय के दौरान वो आईआईटी कानपुर में पढ़ाने लिए भारत आये हुए थे।, प्रो. Vashishtha Narayan Singh (2 April 1946 – 14 November 2019) used to be an Indian academic. Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. From Netarhat to Patna Science College, in 1963, was a natural progression for him … Commentdocument.getElementById("comment").setAttribute( "id", "afa489f4adbf0d063a761cf8ff52a421" );document.getElementById("g1c4b519c7").setAttribute( "id", "comment" ); वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी – Vashishtha Narayan Singh Biography Hindi. Some Lesser Known Facts About Vashishtha Narayan Singh.

Vashishtha Narayan Singh Biography: पटना का एक लड़का जो पटना के साइंस कॉलेज में पढ़ते समय गणित के टीचर्स की गलती पर उन्हें टोक देता था। 1969 में जब वह अमेरिका पहुंचा तो गरीबी भी उसे Phd करने से नहीं रोक पाई। जब वो नासा में काम करता था तो कंप्यूटर के बंद होने पर भी नासा के काम नहीं रूकते थे।, भारत लौटने के बाद उसे ऐसी बीमारी ने घेर लिया, जिसमें इन्सान को वो आवाजें सुनाई देने लगती है जो वास्तव में होती ही नहीं है।, यह वही सख्स था जिसने आइन्स्टाइन की थ्योरी को चैलेंज किया था। हम बात कर रहे है बिहार के गणितज्ञ वशिष्ट नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) की।, वशिष्ट नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर में हुआ था। उस समय बिहार के आसपास के राज्य जैसे झारखण्ड आदि भी बिहार में आते थे। इनके पिताजी पुलिस विभाग में कार्य करते थे।, इनकी शुरूआत की पढ़ाई नेत्राहट रेसीडेंसीयल स्कूल में हुई। यह स्कूल बिहार के सभी टोपेर्स स्टूडेंट्स के लिए एक प्रसिद्ध स्कूल था। इस स्कूल से इन्होने मैट्रिक्स की परीक्षा में पूरे बिहार में टॉप किया था। आज के समय में यह स्कूल भी झारखण्ड में आता है।, देश के आजाद होने के साथ ही नारायण जी भी अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए आजाद हो चुके थे। कॉलेज की पढाई के लिए पटना के साइंस कॉलेज पहुंचे। इस कॉलेज से इन्होने इन्टरमीडिएट के एग्जाम को भी पूरे बिहार को टॉप किया था।, अब तक के उनका यह कंफोर्म हो गया था कि उनका मन गणित के लगता है और वह आगे की पढ़ाई भी गणित में ही करेंगे।, गणित में कितना मन लगता था इसे यूं समझिये कि जब गणित के शिक्षक पढ़ा रहे होते थे तो उनकी गलती पर नारायण सिंह जी उन्हें टोक देते थे। सामान्य सी बात है कि हर टीचर को उनकी यह आदत पसंद नहीं आती। एक दिन किसी टीचर ने उनकी शिकायत प्रिंसिपल से कर दी कि ये लड़का हमें बार-बार टोकता है।, प्रिंसिपल ने सोचा कि ये लड़का इतना ही होशियार है तो उसका अलग से एग्जाम कराना चाहिए। उनका अलग से एग्जाम हुआ। लेकिन नारायण जी ने अपने प्रिंसिपल को निराश नहीं किया।, पटना में पढ़ाई के दौरान उन पर निगाह पड़ी अमेरिका के दिग्ज Mathematician प्रो. He got annoyed whenever the teacher taught wrong. Vashishtha Narayan Singh was actually blessed with some outstanding DNA in him that had manifested quite early on while he was a teen-aged school boy at Netarhat.

1 वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी – Vashishtha Narayan Singh Biography Hindi 1.1 जन्म 1.2 शिक्षा और करियर महेश भट्ट की जीवनी – Mahesh Bhatt Biography Hindi, श्रीकांत वर्मा की जीवनी – Shrikant Varma Biography Hindi, मोहम्मद हिदायतुल्लाह की जीवनी – Mohammad Hidayatullah Biography Hindi, बलवंत सिंह की जीवनी – Balwant Singh Biography Hindi, प्रसून जोशी की जीवनी – Prasoon Joshi Biography Hindi, सुब्रमण्यम स्वामी की जीवनी – Subramanian Swami Biography Hindi, 20 सितंबर का इतिहास – 20 September History Hindi, 19 सितंबर का इतिहास -19 September History Hindi, 18 सितंबर का इतिहास -18 September History Hindi. वर्तमान में मैं स्टूडेंट हूँ, साथ ही ब्लॉग्गिंग करना भी मुझे अच्छा लगता है। इसके आलावा मुझे घूमना फिरना व लिखना पसंद है।. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने बर्कली के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की हुई थी. You have entered an incorrect email address!



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